०० कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया के स्वच्छ छबि से जनता हो रही प्रभावित
०० डॉ बांधी को पिछले चुनाव में हार का सामना कराने वाले कर रहे है चुनाव संचालन
बिलासपुर| मस्तुरी विधानसभा में भाजपा के प्रत्याशी डॉ कृष्णमूर्ति बांधी के पिछले 10 वर्षो के विधायकी कार्यकाल के दौरान किये गए कारनामो का प्रभाव इस चुनाव में साफ़ दिखाई दे रहा है, जनता बांधी के विधायकी के दिनों को याद कर उन्हें समर्थन देने का मन नहीं बना पा रही है वही कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया की मृदुभाषी, साफ़ व बेदाग़ छबि के चलते जनता अपना व्यापक समर्थन दे रही है, कुल मिलकर इस चुनाव में जनता का पक्ष भाजपा प्रत्याशी की ओर ना होकर कांग्रेस प्रत्याशी की तरफ जाते हुए साफ़ नज़र आ रहा है|
भाजपा प्रत्याशी डॉ कृष्णमूर्ति बांधी वर्ष 2013 के चुनाव पूर्व पिछले 10 वर्षो से क्षेत्र के विधायक व मंत्री रहे है, अपने विधायकी व मंत्रित्व काल के दौरान बांधी ने अधिकारियो-कर्मचारियों सहित सरपंच-सचिव से साथ सार्वजनिक रूप से अभर्द्रता करने के आरोप लगे थे, इसके चलते क्षेत्र जनप्रतिनिधियों, सरपंच-सचिवो में आक्रोश व्यापत है वही अधिकारियो-कर्मचारियों में भी नाराजगी देखी जा रही है| क्षेत्र की जनता भी डॉ बांधी को लेकर नाराज रही है खासकर महिला वर्ग में बाँधी को लेकर काफी आक्रोश व्याप्त है, इसके विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया पिछले चुनाव में मस्तुरी से विधायक रह चुके है मगर विपक्ष में रहने की वजह से क्षेत्र के व्यापक विकास नहीं हो पाने का उन्हें मलाल है| डॉ बांधी की छबी के विपरीत दिलीप लहरिया मिलनसार, मृदुभाषी होने साथ साथ स्वच्छ व बेदाग़ छबी के है जिसके चलते क्षेत्रवासियों का सहयोग मिल रहा है| दिलीप लहरिया
पिछले चुनाव में डॉ बांधी को हराने वाले कर रहे है चुनाव संचालन :- वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पूर्व कांग्रेस के सांसद प्रतिनिधि द्वारा डॉ कृष्णमूर्ति बांधी को चुनाव हराने वाले इस विधानसभा चुनाव में पुन: डॉ बांधी का चुनाव संचालन कर रहे है, जो समझ से परे नजर आ रहा है| गौरतलब है कि वर्ष 2013 में मस्तुरी से भाजपा प्रत्याशी रहे डॉ बांधी के खिलाफ जमकर हल्ला बोलने वाले कथाकथित कांग्रेस के सांसद प्रतिनिधि ने लगभग 20 से 25 वाहनों में समर्थको को ले जाकर मुख्यमंत्री निवास में डॉ बांधी की शिकायत कर मिडिया के सामने विरोध प्रदर्शन किया था साथ ही बांधी के खिलाफ चकरभाठा के श्याम वाटिका में बैठक लेकर रणनीति बनायीं जिसके चलते चुनाव में डॉ बांधी को हार का मुह देखना पड़ा था|