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०० मुख्यमंत्री के सलाहकार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग से चर्चा के बाद कमल शुक्ला ने तोडा आमरण अनशन

०० कमल शुक्ला ने कहा, कमल शुक्ला ने अनशन तोड़ा पर कल्लूरी के खिलाफ लड़ाई रहेगी जारी

बिलासपुर| बस्तर में विवादित रहे आई जी कल्लूरी को महत्वपूर्ण पद से हटाए जाने की मांग को लेकर बस्तर के प्रख्यात पत्रकार कमल शुक्ला कल से आमरण अनशन पर थे, पत्रकार कमल शुक्ला का कहना है कि बस्तर में आईजी के महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए एसपीएस कल्लूरी ने आदिवासियों पर अनगिनत अत्याचार ढाये थे। पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने नहीं दिया गया था। तालमेटला जैसे भयावह अग्निकांड के मामले में जांच करने आए सीबीआई के अफसरों से भी दुर्व्यवहार कराया गया था। पत्रकार कमल शुक्ला के आमरण अनशन को समाप्त किये जाने को लेकर दो वरिष्ठ पत्रकारों विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग ने समझाईश दी जिसके बाद कमल ने जूस पीकर अनशन तोड़ दिया|  

प्रख्यात पत्रकार कमल शुक्ला का भूख हड़ताल तुड़वाने पहुंचे मुख्यमंत्री के सलाहकार वरिष्ठ पत्रकार और विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग से चर्चा हुई, इस दौरान दोनों वरिष्ठ पत्रकारों ने कमल शुक्ला से कहा कि कल्लूरी जब पुलिस ट्रेनिंग में थे तब वह रोज 10 कल्लूरी बना रहे थे, अब वहां है जहां उसका पत्रकारों या आदिवासियों में कोई दखल नहीं है। अफसर है तो कहीं न कहीं तो होगा ही अभी वह एडीजी रैंक का अफसर है। एसीबी में जिस पद पर उसे बिठाया गया है वह डीआईजी रैंक का पद है। तो सरकार ने प्रमोट कहाँ किया है फिर भी उसे हटाना है तो बस्तर के सभी साथी आ जाएं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा करें। समाधान निकाला जाएगा। उसके लिए आमरण अनशन की क्या जरूरत, लड़ाई बड़ी है। साथ ही पत्रकारों ने कहा कि सरकार ने आते ही पत्रकार सुरक्षा कानून पर काम शुरू किया है। मीडिया सरकार की गलतियां उजागर करे,  हम सरकार की ओर होकर भी आपके साथ रहेंगे, वादा है। जेलों में फर्जी मामलों में बन्द आदिवासियों की रिहाई का रास्ता खोलना है, आप लोगों की मदद उस बड़ी लड़ाई में चाहिए। आदिवासियों के वनाधिकार समेत दूसरे मुद्दे भी हैं। यकीन रखो। सरकार इन मसलों पर संवेदनशील है। मुख्यमंत्री के सलाहकार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग से चर्चा के बाद कमल शुक्ला ने कहा कि कमल शुक्ला ने अनशन तोड़ा पर कल्लूरी के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। बस्तर पर रिपार्टिंग करने वाले सभी साथी सीएम से मिलेंगे, कल्लूरी के खिलाफ जो आपराधिक मामले पिछली सरकार ने दबाए थे उन्हें फिर से उजागर कर उस पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की जाएगी। लोकतांत्रिक विरोध के दूसरे तरीक़े अपनाए जाएंगे। जब कोई तरीका काम नहीं आएगा तब फिर से अनशन होगा। इस बार न हो तो बेहतर होगा। हुआ तो रुचिर भैया भी नहीं उठा पाएंगे। फिलहाल आंदोलन स्थगित हुआ है बन्द नहीं, इंकलाब जिंदाबाद।

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