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बिलासपुर। बिलासपुर कांग्रेस भवन का शायद वास्तु ही दोषपूर्ण है। नेता लाख दावा करे एकता का पर अंदर आते ही सुर बेसुरे हो जाते है। कांग्रेस ने अपनी पांचवी एवं अंतिम सूची से बिलासपुर से शैलेष पांडे का नाम घोषित किया था। उसी के बाद कांग्रेस भवन के बाहर कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने ही तोड़-फोड़ की तब लांगो को लगा की यह प्रारंभिक नाराजगी है जो विशेष मायने नही रखती, उसके बाद नामाकंन के वक्त सभी कांग्रेसी नेताओं ने प्रत्याशी के साथ गले लग कर फोटो खिंचवाए।
आज कांग्रेस पार्टी के बिलासपुर प्रत्याशी का चुनाव प्रचार किस तरह संचालित हो पर कार्य योजना बनाने शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की आवश्यक बैठक आहुत की थी। इस बैठक में नरेन्द्र बोलर, अटल श्रीवास्तव, प्रत्याशी स्वयं सहित सभी पार्षद पूर्व महापौर वाणी राव सहित पूर्व विधायक तथा कई ऐसे चेहरे जो अब तक कांग्रेस भवन में नही आते थे आज कांग्रेस को जीताने की नीति पर चर्चा करने बैठे थे। सभी वक्ताओं ने कांग्रेस के हाईकमान के द्वारा घोषित प्रत्याशी को श्रेष्ठ प्रत्याशी माना और इस बात के लिए रजामंदी दी कि उन्हें पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा जो भी काम सौंपा जाएगा उसे करेंगे और ना केवल प्रदेश की भाजपा सरकार को बदलना है तथा शहर विधायक अमर अग्रवाल को खरसियां भेजना है कि बाते कही।

00 कहीं अशोक अग्रवाल का कांग्रेस भवन में गाली-गलौच प्रायोजित तो नही था 00

कांग्रेस के पूर्व पार्षद अशोक अग्रवाल जो टिकट के दावेदार भी थे मीटिंग के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के पास ही बैठे थे। अचानक उनका प्रत्याशी से विवाद हुआ और उन्होंने बैठक छोड़ दी तब बैठक में उपस्थित पूर्व महापौर वाणी राव ने प्रत्याशी को स्वयं जाकर अशोक अग्रवाल को लेकर आने कहा। किन्तु बैठक कक्ष के बाहर गलियारे में अशोक अग्रवाल तेज आवाज में प्रत्याशी को यह कहते सुने गए कि वे उसे जीतने नही देंगे तथा मैं किसी से डरता नही हुं। मैं अजीत जोगी से नही डरा और उसे सत्ता से बेदखल कराया मैं देखता हुं कि बिलासपुर से कांग्रेस कैसे जीतेगी। नाराज अशोक अग्रवाल को नेता प्रतिपक्ष सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने समझाया किन्तु वे बैठक में वापस नही आए

। वहीं आम कार्यकर्ता यह कहता सुना गया कि मारवाड़ी, मारवाड़ी से मिल गया है और यह सब अमर अग्रवाल के ईशारे पर किया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि अशोक अग्रवाल पूर्व में भी भवन के भीतर विवाद करने के लिए चर्चित है। वे 2003 में कांग्रेस छोड़ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके है तथा अमर अग्रवाल के खास मित्र माने जाते है।

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